यदि पेट में एसिडिटी,जलन, कलेजे में दर्द और सर में चक्कर आते हैं तो ये करे
हाइपर एसिडिटी और पेट की जलन को कम कैसे करें, यदि पेट में एसिडिटी,जलन, कलेजे में दर्द और सर में चक्कर आते हैं तो ये करे | आज भारत में लगभग 1000000 लोग एसिडिटी की बीमारी से हर महीने प्रताड़ित होते हैं।
कुछ लोगों का पेट साफ होता है फिर भी एसिडिटी बनती है और मानसिक तनाव भी होती है, आइये इसके उपाय जाने ।
कई लोग इसके लिए तरह-तरह की दवाइयां लेते हैं परंतु यह सभी दवाइयां शरीर को तुरंत प्राथमिक उपचार तो देती है परंतु इन के साइड इफेक्ट काफी भयानक होते हैं।
आज इस लेख के द्वारा हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्या कार्य करें, जिससे आपको हाइपरएसिडिटी ही ना हो।
एसिडिटी होने के तो कई सारे कारण है, जिसमें मैदे का बना हुआ भोजन करना, बहुत अधिक मात्रा में समोसे कचोरी और ताला गला खाना, बहुत अधिक खाना बासी खाना, बहुत अधिक शराब पीना, इसके अलावा भी अन्य कई ऐसे कारण है, जो हमारे शरीर की गर्मी को बढ़ाते हैं एवं पेट की गर्मी को भी बढ़ाते हैं।
यहां तक कि हमें पानी पीने में भी परेशानी होने लगती है। यह सब एसिडिटी का ही प्रकोप है।
इसका मुख्य कारण हमारी जीवनचर्या ही है तथा आप इतनी जल्दी अपनी दिनचर्या को नहीं बदल सकते हैं, इसलिए अच्छा होगा कि आप एलोपैथिक दवाइयों की बजाय घरेलू नुस्खे ही ट्राई करें क्योंकि इनसे आपके शरीर को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचेगा, अपितु फायदा ही फायदा होगा।
वहीं दूसरी तरफ यदि आप एलोपैथिक दवाइयां लेते रहे तो आपके शरीर को भारी नुकसान पहुंचेगा। यह आपके खून को पतला करती है जो कि आगे चलकर ब्लड प्रेशर में तुरंत उतार-चढ़ाव, यहां तक की पैरालिसिस अटैक होने की भी संभावना को बढ़ा देता है।
खून का पतला होना तो काफी भयानक होता है, इसलिए एलोपैथिक दवाइयों पर ज्यादा आश्रित ना रहें बल्कि हमारे आयुर्वेद के बताए हुए कुछ प्रयोगों को करें।
यह सीधे आयुर्वेद से लिए गए हैं यदि आप इनका प्रयोग करते हैं तो इनका साइड इफेक्ट तो कुछ नहीं होगा अपितु फायदा ही होगा।
कुछ लोगों का पेट साफ होता है फिर भी एसिडिटी बनती है और मानसिक तनाव भी होती है, आइये इसके उपाय जाने ।
कई लोग इसके लिए तरह-तरह की दवाइयां लेते हैं परंतु यह सभी दवाइयां शरीर को तुरंत प्राथमिक उपचार तो देती है परंतु इन के साइड इफेक्ट काफी भयानक होते हैं।
आज इस लेख के द्वारा हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्या कार्य करें, जिससे आपको हाइपरएसिडिटी ही ना हो।
एसिडिटी क्या हैं? आखिर क्यों होती है एसिडिटी
एसिडिटी होने के तो कई सारे कारण है, जिसमें मैदे का बना हुआ भोजन करना, बहुत अधिक मात्रा में समोसे कचोरी और ताला गला खाना, बहुत अधिक खाना बासी खाना, बहुत अधिक शराब पीना, इसके अलावा भी अन्य कई ऐसे कारण है, जो हमारे शरीर की गर्मी को बढ़ाते हैं एवं पेट की गर्मी को भी बढ़ाते हैं।इन्हें खाने से आखिर कैसे बढ़ती है एसिडिटी
इन सभी तरह के पदार्थों को खाने की वजह से हमारे शरीर में एसिडिटी को बढ़ावा देने वाले पैरासाइट्स की मात्रा में बहुत अधिक वृद्धि होने लगती है तथा यह गैस के रूप में परिवर्तित होकर हमारे फूड पाइप और वाल्व के बीच में छोटे से हिस्से में ऊपर की ओर आना शुरू हो जाती है, जिसकी वजह से हमें कुछ भी खाने के दौरान सीने में जलन होती है तथा पेट में जलन होना शुरू हो जाती है।यहां तक कि हमें पानी पीने में भी परेशानी होने लगती है। यह सब एसिडिटी का ही प्रकोप है।
एलोपैथिक दवाइयों के नुकसान
यदि आप एसिडिटी से छुटकारा चाहते हैं तो एलोपैथिक दवाइयों को लेने की बजाए घर पर ही इसका उपचार करना शुरू कर दीजिए क्योंकि एसिडिटी तो आपको सप्ताह में दो या 3 दिन रहती ही है।इसका मुख्य कारण हमारी जीवनचर्या ही है तथा आप इतनी जल्दी अपनी दिनचर्या को नहीं बदल सकते हैं, इसलिए अच्छा होगा कि आप एलोपैथिक दवाइयों की बजाय घरेलू नुस्खे ही ट्राई करें क्योंकि इनसे आपके शरीर को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचेगा, अपितु फायदा ही फायदा होगा।
एलोपैथिक दवाइयां खून पतला करती हैं
वहीं दूसरी तरफ यदि आप एलोपैथिक दवाइयां लेते रहे तो आपके शरीर को भारी नुकसान पहुंचेगा। यह आपके खून को पतला करती है जो कि आगे चलकर ब्लड प्रेशर में तुरंत उतार-चढ़ाव, यहां तक की पैरालिसिस अटैक होने की भी संभावना को बढ़ा देता है।
खून का पतला होना तो काफी भयानक होता है, इसलिए एलोपैथिक दवाइयों पर ज्यादा आश्रित ना रहें बल्कि हमारे आयुर्वेद के बताए हुए कुछ प्रयोगों को करें।
एसिडिटी से छुटकारा हेतु क्यों एलोपैथी की बजाय आयुर्वेद का सहारा ले
यह सीधे आयुर्वेद से लिए गए हैं यदि आप इनका प्रयोग करते हैं तो इनका साइड इफेक्ट तो कुछ नहीं होगा अपितु फायदा ही होगा।