20 Aashiq Hoo Tera Shayari(Your Lover)
Top 20 best aashiq hoo tera shayari to express your love to your girlfriend or boyfriend and impress her to fall in love with her/him.
20 aahiq hoo tera sayari in hindi
मुझे राह ए मोहब्बत का इल्म न था
ये राह दिखाई सनम आपने
पहले तो मे बस शायर थे
आशिक बनाया सनम आपने
जो रोशनी दे कायनात को उसे माहे कामिल कहते हे
जो ज्ञान से भरदे संसार को उसे ही कामिल कहते हे
जिसने भुला दिए दुनिया के सभी रंजो गम दोस्तो
उसी शख़्स को लोग सच्चा आशिक कहते हे
यूँ ही तुम हर मोसम मेँ आते रहना
मेरे महबूब यू ही मुझ को जलाते रहना
मजबूरियाँ भी होगी जमाने की तुंहेँ
बस इस पागल की गजल गुनगुनाते रहना
एक धडकता हुआ अहसास हूं
जिदगी देख मेँ तेरे पास हूँ
मेरे गम ही मेरी दोलत हे
मे आंशिक हूँ इसलिए उदास हूँ
मेँ कोई गीत नहीँ जो फिजाओ मेँ बिखर जाऊंगा
मेँ कोई दिल नहीँ जो तेरी बेवफाई से जल जाऊंगा
तूफान भी मुझ से टकराकर वापस लोट जाते हे
मे आंशिक हूँ मुस्कुरा कर मर जाऊंगा
जमाने की हर रवायत मेँ तोड जाऊंगा
तूफान अगर आया तो उसका मुख मोड़ जाऊंगा
मेँ कोई तिनका नहीँ हूँ जो जला दोगे मुझे
आशिक हूँ मर गया तो भी चमक छोड जाऊंगा
आशिको की महफिल सदा ही साद रहती हे
खुशियो की नदी उनकी महफ़िल मेँ बहती हे
आशिको को जमाने से कोई रंज नहीँ होता
आशिको के लिए ही ये सारी खुदाई होती हे
मेँ हूँ तुंहारी निगाह का मारा
कहती हे दुनिया मुझे बेचारा
बहुत दर्द तुमने दिया जिंदगी
पहचान ले मुझे मे आंशिक हूँ तुम्हारा
शमा जली तो परवाने चले आए
हुस्न की इबादत करने दीवाने चले आए
आशिक हूँ यारोँ मोहब्बत काम हे मेरा
लोग यूँ ही देखो मुझे समझाने चले आए
खुद को पाने के लिए हमने बंदगी कर ली
जला के अपनी हर आरजू पाक जिंदगी कर ली
कौन कहता हे साजन हम नाकाम रहे
दुनिया मेँ जख्म छिपाने के लिए हमने आशिकी कर ली
ये राह दिखाई सनम आपने
पहले तो मे बस शायर थे
आशिक बनाया सनम आपने
जो रोशनी दे कायनात को उसे माहे कामिल कहते हे
जो ज्ञान से भरदे संसार को उसे ही कामिल कहते हे
जिसने भुला दिए दुनिया के सभी रंजो गम दोस्तो
उसी शख़्स को लोग सच्चा आशिक कहते हे
यूँ ही तुम हर मोसम मेँ आते रहना
मेरे महबूब यू ही मुझ को जलाते रहना
मजबूरियाँ भी होगी जमाने की तुंहेँ
बस इस पागल की गजल गुनगुनाते रहना
एक धडकता हुआ अहसास हूं
जिदगी देख मेँ तेरे पास हूँ
मेरे गम ही मेरी दोलत हे
मे आंशिक हूँ इसलिए उदास हूँ
मेँ कोई गीत नहीँ जो फिजाओ मेँ बिखर जाऊंगा
मेँ कोई दिल नहीँ जो तेरी बेवफाई से जल जाऊंगा
तूफान भी मुझ से टकराकर वापस लोट जाते हे
मे आंशिक हूँ मुस्कुरा कर मर जाऊंगा
जमाने की हर रवायत मेँ तोड जाऊंगा
तूफान अगर आया तो उसका मुख मोड़ जाऊंगा
मेँ कोई तिनका नहीँ हूँ जो जला दोगे मुझे
आशिक हूँ मर गया तो भी चमक छोड जाऊंगा
आशिको की महफिल सदा ही साद रहती हे
खुशियो की नदी उनकी महफ़िल मेँ बहती हे
आशिको को जमाने से कोई रंज नहीँ होता
आशिको के लिए ही ये सारी खुदाई होती हे
मेँ हूँ तुंहारी निगाह का मारा
कहती हे दुनिया मुझे बेचारा
बहुत दर्द तुमने दिया जिंदगी
पहचान ले मुझे मे आंशिक हूँ तुम्हारा
शमा जली तो परवाने चले आए
हुस्न की इबादत करने दीवाने चले आए
आशिक हूँ यारोँ मोहब्बत काम हे मेरा
लोग यूँ ही देखो मुझे समझाने चले आए
खुद को पाने के लिए हमने बंदगी कर ली
जला के अपनी हर आरजू पाक जिंदगी कर ली
कौन कहता हे साजन हम नाकाम रहे
दुनिया मेँ जख्म छिपाने के लिए हमने आशिकी कर ली